Tuesday, July 20, 2010
Monday, July 5, 2010
काश
लफ्ज़ गूंजते . या फिर ख़ामोशी का असर होता
कंधे पर जुल्फे होती तो ..आज हथेलियों में ना सर होता ..
तुझसे बिचड़ के मैं हर रोज मर के जीता हूँ
तू मिलती तो.. शायद कुछ और हसर होता ..
काश यूँ होता तो क्या होता ... काश यूँ ना होता तो क्या होता ...
तू गर मिल जाती तो , मिल जाती जन्नत मुझे
पर शायद तेरे ना मिलने से, 'मीत' गम से बेखबर होता
Friday, July 2, 2010
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