Saturday, January 1, 2011

रोज नजरे मिलती है .. और रोज क़यामत होती है

क़यामत ने कहा क़यामत से ....आशिक , उम्मीद तेरी ठीक नहीं
मुझ पर जले परवाने कितने ... जलने की कोई ताकीद नहीं

हर जलवा है मेरा क़यामत .. मुझसे रहम -औ- वफ़ा की गुजारिश ना कर
क़यामत से पहले इक और क़यामत की सिफारिश ना कर

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