१
ये रुते बहार शायद खाक होने वाली हैं, आजकल बातों बातों में उसका लहजा बदल सा जाता है...
२
वो शख़्स एक शाम में कितना बदल गया !
हैरत से सारे लफ़्ज़ उसे देखते रहे,
बातों में अपनी बात को कैसा बदल गया !
३
हैरानगी नही मुझे इस बात पे कि कौन कितना बदल गया,
कोई शाम-ओ-सहर तो कोई मौसम कि तरह बदल गया ,
जब वक़्त ही नही रहता टिक कर कही ,
तो क्युं चर्चा हैं इसका कि कौन कितना बदल गया !
जब वक़्त ही नही रहता टिक कर कही ,
तो क्युं चर्चा हैं इसका कि कौन कितना बदल गया !
४
रुक जाता था लम्हा उसके तस्सवुर में;
मासूमियत उसकी वक्त को मदहोश कर देती थी !
लफ्ज होठों में सिले रहते थे ;
आँखों की बाते, मुझे खामोश कर देती थी !
हाल-ए-दिल कहूँ या सुनाऊं बेवफाई की दास्ताँ;
बदल कर 'मीत' को, वो शक्श खुद बदल गया !
लफ्ज होठों में सिले रहते थे ;
आँखों की बाते, मुझे खामोश कर देती थी !
हाल-ए-दिल कहूँ या सुनाऊं बेवफाई की दास्ताँ;
बदल कर 'मीत' को, वो शक्श खुद बदल गया !
५
जिन्दगी की राहों मे रस्ते बदल गए
रुख हवा का बदला या हमसफ़र बदल गए
सोचते है आपको याद ना करे
लेकिन आँखे बंद करते ही इरादे बदल गए
१ नरेश, २ गंगा तिवारी,३ प्रदीप, ४ गुरमीत ५ अखिल
Bahut achha likhte hain aap...Emotional kar diya.
ReplyDeleteरुक जाता था लम्हा उसके तस्सवुर में;
ReplyDeleteमासूमियत उसकी वक्त को मदहोश कर देती थी !
लफ्ज होठों में सिले रहते थे ;
आँखों की बाते, मुझे खामोश कर देती थी !
हाल-ए-दिल कहूँ या सुनाऊं बेवफाई की दास्ताँ;
बदल कर 'मीत' को, वो शक्श खुद बदल गया !
वाह....वाह.......!!
आपकी कलम भी कम गज़ब ढाने वाली नहीं .......!!
ये रुते बहार शायद खाक होने वाली हैं, आजकल बातों बातों में उसका लहजा बदल सा जाता है...
कोई बात नहीं जी...... रुते तो यूँ ही आनी जानी हैं .....आप यूँ ही हर रुत के साथ लिखते रहिये ......!!
हरकीरत जी और दिव्या जी .हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया
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