बस खवाब ही तो अपने थे,
अब तस्सवुर में रुसवाईयों का दौर है ,
खुद में तुझ की तलाश ने दीवाना कर दिया !
भटकती हुई गलियों के चौराहे पे ,
आज मुझसे मेरा पता पूछ गया कोई,
तुने मुझे ,अपने शहर में बेगाना कर दिया !!!
आइना देखते हुए 'मीत', अब डर लगता है,
कही मेरा ही अक्स मुझसे पूछ ना बैठे,
बता अजनबी, तू कौन है ?
oh looking glass self theory..........quite good reflection...:)
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