के जैसे तन्हायियो मे तस्सवुर की रात गुज़रती है .. . [नीलम ]
तेरे ख्वाबों की हकीकत में कुछ खोया रहा इस कदर..
के लगा .. हर हवा पुकार तेरा नाम गुजरती है !!!
घंटो बैठा मैं खुद से बाते किया करता रहता हूँ .
इस बेखुदी में कब सुबह.. कहाँ शाम गुजरती है !!!!
तेरी बेरुखी से नहीं .. तेरे बिछड़ने से डरता हूँ ए "मीत"
देख ले मेरी जान, मेरी जान पे क्या गुजरती है
के लगा .. हर हवा पुकार तेरा नाम गुजरती है !!!
घंटो बैठा मैं खुद से बाते किया करता रहता हूँ .
इस बेखुदी में कब सुबह.. कहाँ शाम गुजरती है !!!!
तेरी बेरुखी से नहीं .. तेरे बिछड़ने से डरता हूँ ए "मीत"
देख ले मेरी जान, मेरी जान पे क्या गुजरती है
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