सांसे तरन्नुम तेरा सुनाती है
धडकनों की लय में बस तेरा नाम है
सुबह तेरे नाम से दस्तक देती है
और राते तेरे ख्यालों के आगोश में लाती है
तेरा मिलना ख्वाब है या हकीकत.
बस बंद पलको में कैद रहती है तू
जुगनू को सितारे समझ भटकता रहता हूँ
कस्तूरी है तू यह फिर इक छलावा
इक अक्स को अपना समझ रखा है
जानता हूँ
लहरे बड़ी बेईमान है
और
ख्वाब मेरे इक दिन नस्तर बनेंगे
यह भी जानता हूँ
आसमान के चाँद की ख्वाहिश कर बैठा हूँ
शायद में तेरे ख्वाबों के लायक भी नहीं
पर क्या करू
दिल है के मानता ही नहीं.....
well done bhaiya....maja agaya....
ReplyDeleteexceptionaly good written.
ReplyDeletehttp://ndnitishdubey.blogspot.com