Tuesday, March 15, 2011

mariichika

सांसे तरन्नुम तेरा सुनाती है
धडकनों की लय में बस तेरा नाम है
सुबह तेरे नाम से दस्तक देती है
और राते तेरे ख्यालों के आगोश में लाती है

तेरा मिलना ख्वाब है या हकीकत.
बस बंद पलको में कैद रहती है तू
जुगनू को सितारे समझ भटकता रहता हूँ
कस्तूरी है तू यह फिर इक छलावा

इक अक्स को अपना समझ रखा है
जानता हूँ
लहरे बड़ी बेईमान है
और
ख्वाब मेरे इक दिन नस्तर बनेंगे


यह भी जानता हूँ
आसमान के चाँद की ख्वाहिश कर बैठा हूँ
शायद में तेरे ख्वाबों के लायक भी नहीं

पर क्या करू
दिल है के मानता ही नहीं.....

2 comments:

  1. well done bhaiya....maja agaya....

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  2. exceptionaly good written.
    http://ndnitishdubey.blogspot.com

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