Wednesday, March 30, 2011


बरस बरस कर नैना बरसे,

झूले रहे सावन के खाली ,

ह्रदय जला दीप जलाये,

प्रतीक्षा में रूठी दीवाली !

पि बिन रंग फीका फीका

अब के बरस बस होली हो ली !!

Saturday, March 19, 2011

Daasta

दास्ताँ बना देते है इक छोटी सी गुफ्तगू को, ..
अफवाहों के हाथ बड़े कातिल होते है !

चीर के दरिया रस्ते बना लेते है जो लोग,
रेत से पानी निकालने के काबिल होते है

Tuesday, March 15, 2011

नश्तर

कुछ टूट सा गया हैं दिल में, कभी हल्कासा सा दर्द हैं.
और कभी चुभता हैं नश्तर की तरह
ये नश्तर भी अजीब है यारो, चुभता है तो मजा आता है.!!!

धडकनों ने बड़ी शिद्दत से आरजू की थी जिसे पाने की ,
दीवानगी की हदे तोड़ दी जिसकी खातिर,
खुद से बिछड़ने की वो, खुदा से दुआ मांग आता है!!! ..

जिसकी दिल की बस्ती में कभी हमारा आशियाना था,
आज मिलता है वो "मीत" मुझसे इक अजनबी की तरह
रुकता है , मुस्कुराता है , फिर निगाहे फेर आता है !!

यादों की तुकबंदी

इक वह दिन, जब खुली के नीचे अपना jaha tha ,
खुशिया थी , गम थे , मस्तियो का कारवां था ,
लड़ते थे , झगड़ते थे ,रोते हस्ते & रुठते -मनाते थे
हॉस्टल का खाना हो , या ढाबे के पराठे; सब मिल खाते थे!
होता था घर से पैसो का इन्तेजार , हरदम थी हालत खस्ती
फिर भी होती थी पहले हफ्ते में सारे ढाबो की मस्ती ,
गोदावरी की काफ्फी , साबरमती के पकोड़े या फिर गंगा की ब्रेड रोल और चाय
Library Canteen का खाना ,या फिर "युनुस भैया, आज क्या बनाए !!
दिन थे मजेदार , प्रिया front stall में जाते थे
कुछ ना था फिर भी बहुत कुछ था ... हम मुस्कुराते थे !!!

आज जमी अपनी है , आसमा अपना है और अपना सारा जहाँ है
लोगो की भीड़ है , फिर भी दोस्तों के बिन यह गुलिस्ता वीरां है !

Lost

“I’m often lost in a world so new
with thoughts so wild, they speak only of you,
Who are you?? I often question myself
are you just a figment of my imagination
or are you someone true…..??

When I open my eyes you instantly vanish
and reappear to disturb me when I’m asleep,
In the stillness of the night just like a thief
in my dreams you stealthily creep.

You’ve stolen my sleep and looted my peace
You’ve come like a gentle breeze
to make my heart standstill and my heartbeats freeze!!”

- someone at someplace in internet

mariichika

सांसे तरन्नुम तेरा सुनाती है
धडकनों की लय में बस तेरा नाम है
सुबह तेरे नाम से दस्तक देती है
और राते तेरे ख्यालों के आगोश में लाती है

तेरा मिलना ख्वाब है या हकीकत.
बस बंद पलको में कैद रहती है तू
जुगनू को सितारे समझ भटकता रहता हूँ
कस्तूरी है तू यह फिर इक छलावा

इक अक्स को अपना समझ रखा है
जानता हूँ
लहरे बड़ी बेईमान है
और
ख्वाब मेरे इक दिन नस्तर बनेंगे


यह भी जानता हूँ
आसमान के चाँद की ख्वाहिश कर बैठा हूँ
शायद में तेरे ख्वाबों के लायक भी नहीं

पर क्या करू
दिल है के मानता ही नहीं.....

Thursday, March 10, 2011

तेरे नाम

लफ्ज़ गूंजते . या फिर ख़ामोशी का असर होता
कंधे पर जुल्फे होती तो ..आज हथेलियों में ना सर होता ..

तुझसे बिचड़ के मैं हर रोज मर के जीता हूँ
तू मिलती तो.. शायद कुछ और हसर होता ..

काश यूँ होता तो क्या होता ... काश यूँ ना होता तो क्या होता ...
तू गर मिल जाती तो , मिल जाती जन्नत मुझे
पर शायद तेरे ना मिलने से, 'मीत' गम से बेखबर होता !!!