Saturday, April 24, 2010

यार मिलते हैं यहाँ, यारी नही मिलती,
दिल मिल जाते है पर दिलदारी नही मिलती !

कहते हैं कि लोग, उठ रहा था धुआं;
लगी थी आग जिससे, वो चिन्गारी नही मिलती !

जाने क्या बात थी , उलझ गये है दोनो,
बेवफ़ा कहा हमे, पर नजर तुम्हारी भी नही मिलती

कह्ते है ... गिरा दो दर्मिया की दीवारें
मिलेगे दिल कैसे , जब चारदिवारी नही मिलती.

क्युं ताउम्र दौलत के पीछे भागे ए 'मीत',
करो जतन लाख, जमी सारी नही मिलती !

चाहते हें, झीलो मे डूब जाने कि 'मीत',
पर हाय, पलको की पहरेदारी नहीं मिलती !

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