अपनी उदासी का सबब, तुझे बताता हूँ |
हाल-ए-दिल, हाल-ए-मुफलसी, हाल
उलझा हूँ , मैं तुझे भी उलझाता हूँ |
कब वो मुझे जानेगे, कब समझेंगे ;
खुद नासमझ हूँ .. आ, तुझे समझता हूँ |
यह उम्मीद है की ना मिलेगा उन्हें मुझसा कोई
इसी उम्मीद से "'मीत ' दिल को अपने बहलाता हूँ
No comments:
Post a Comment