दिल मिल जाते है पर दिलदारी नही मिलती !
कहते हैं कि लोग, उठ रहा था धुआं;
लगी थी आग जिससे, वो चिन्गारी नही मिलती !
जाने क्या बात थी , उलझ गये है दोनो,
बेवफ़ा कहा हमे, पर नजर तुम्हारी भी नही मिलती
कह्ते है ... गिरा दो दर्मिया की दीवारें
मिलेगे दिल कैसे , जब चारदिवारी नही मिलती.
लगी थी आग जिससे, वो चिन्गारी नही मिलती !
जाने क्या बात थी , उलझ गये है दोनो,
बेवफ़ा कहा हमे, पर नजर तुम्हारी भी नही मिलती
कह्ते है ... गिरा दो दर्मिया की दीवारें
मिलेगे दिल कैसे , जब चारदिवारी नही मिलती.
क्युं ताउम्र दौलत के पीछे भागे ए 'मीत',
करो जतन लाख, जमी सारी नही मिलती !
चाहते हें, झीलो मे डूब जाने कि 'मीत',
पर हाय, पलको की पहरेदारी नहीं मिलती !
पर हाय, पलको की पहरेदारी नहीं मिलती !